इलाहाबाद में एक पत्रकार ने बचाई थी डॉ.सोनेलाल पटेल की जान
Buddhadarshan News, Lucknow
आज के समय में अक्सर सुनते हैं कि मीडिया अपने सरोकार से भटक गया है, लेकिन वास्तव में देखें तो मीडिया आज भी लोकतंत्र का प्रहरी है। 23 अगस्त 1999 में इलाहाबाद के पी.डी.टंडन पार्क में डॉ.सोनेलाल पटेल और अपना दल कार्यकत्र्ताओं पर हुई बर्बर पुलिसिया लाठी चार्ज के दौरान एक फोटो जर्नलिस्ट ने ही डॉ.सोनेलाल पटेल की जान बचाई थी।
डॉ. सोनेलाल पटेल ने फूलपुर लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन के बाद इलाहाबाद के पीडी टंडन पार्क में शांतिपूर्वक जनसभा का आयोजन किया। इस जनसभा में काफी तादाद में किसानों, कमेरों, मजदूर अपने नेता के भाषण को सुनने पहुंचे।
अचानक जनसभा में पुलिस ने भीड़ पर हमला कर दिया। भगदड़ मच गई, चारों ओर चीख-पुकार की आवाजें आने लगीं। पुलिस ने गोलियां भी चलाई। पुलिस की बर्बर लाठीचार्ज से अपना दल के सैकड़ों कार्यकत्र्ता बुरी तरह से जख्मी हुए। इसी दौरान पुलिस ने डॉ.सोनेलाल पटेल पर बुरी तरह से हमला कर दिया।
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डॉ. पटेल के दोनों हाथ व पैर तोड़ दिए गए। पार्टी के पुराने पदाधिकारियों का कहना है कि बर्बर लाठी चार्ज की वजह से डॉ.पटेल मरणासन्न की स्थित में आ गए, लेकिन पुलिस का लाठी चार्ज जारी रहा। इसी दौरान एक फोटो पत्रकार ने डॉ.पटेल को मारते हुए पुलिस वालों की फोटो खींच ली। पुलिस वालों ने पत्रकार का पीछा किया, लेकिन तब तक वह पत्रकार अपनी गाड़ी लेकर भाग निकला। डॉ.सोनेलाल पटेल की जान कैमरे में कैद हो गई। अब पुलिसवाले डर गए कि मुर्दा डॉ.सोनेलाल पटेल जिंदा डॉ.सोनेलाल पटेल से ज्यादा खतरनाक होगा। और सारे पुलिस वाले जेल की सलाखों में चले जाएंगे। और इस तरह एक पत्रकार द्वारा खींचा गया फोटो उनके जीवन के लिए वरदान साबित हुआ।
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दूसरा जालियावाला बाग हत्याकांड:
अपना दल के कार्यकत्र्ता इस घटना को दूसरा जालियावाला बाग हत्याकांड कहते हैं। क्योंकि इसी दिन किसानों, कमेरों, वंचितों के लिए आवाज उठाने वाले और बुद्ध के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने वाले डॉ.सोनेलाल पटेल और उनके सैकड़ों कार्यकत्र्ताओं को बुरी तरह से पिटा गया।