हजारों वर्षों की गुलामी को खत्म करने की शुरूआत शाहूजी महाराज ने की
Buddhadarshan News, Lucknow
यदि हमें टकराव से बचना है तो आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाए। अन्यथा आने वाले समय में टकराव की समस्या बढ़ेगी। इसका एकमात्र उपाय है कि आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाए। अर्थात आबादी के हिसाब से आरक्षण को लागू किया जाए। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने मंगलवार को लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में आयोजित राजर्षि शाहू जी महाराज की जयंती के अवसर पर यह बात कही। इस मौके पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, मराठी साहित्यकार सुनील कुमार लवटे, उत्तर प्रदेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि हजारों वर्षों की गुलामी को खत्म करने की शुरूआत राजर्षि शाहूजी महाराज ने शुरू की। शाहू जी ने उस जमाने में समाज के निचले तबके के इलाज की व्यवस्था शुरू की, जब उन्हें जाति के आधार पर कोई डॉक्टर इलाज नहीं करता था। हमारे देश की सबसे पवित्र पुस्तक हमारा संविधान है। इसमें सभी समस्याओं के समाधान का उपाय है। अत: आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी का रास्ता हमारा संविधान बताएगा।
खुद को नीच सोचने वाला भी अपराधी:
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि यदि आप खुद को नीच सोचते हैं तो यह भी अपराध है और यदि कोई आपको नीच कहता है तो वह भी अपराध है। इस तरह की सोच का इलाज जरूरी है। इसलिए अपनी नजरों में सबसे पहले सम्मानित बनिये।
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आजादी के 70 साल बाद भी केंद्र में महज 8.5 फीसदी हिस्सेदारी:
1950 में संविधान लागू होने के बाद से ही सरकारी पदों पर एससी और एसटी को 22.5 प्रतिशत आरक्षण है, बावजूद इसके 66 साल में केंद्रीय मंत्रालयों में केवल 8.63 प्रतिशत अनुसूचित जाति वर्ग से पहुंच पाए हैं। वहीं 1993 में ओबीसी आरक्षण लागू है और महज 5.40 प्रतिशत ओबीसी अधिकारी हैं।
विश्वविद्यालयों व केंद्रीय मंत्रालयों में एससी-एसटी नगण्य हैं, जबकि ओबीसी की तो बमुश्किल ही गिनती की जा सकती है।