Buddhadarshan News, New Delhi ‘देर से न्याय मिलना भी अन्याय है’. राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द शनिवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की ‘न्याय ग्राम परियोजना’ के शिलान्यास समारोह के अवसर पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय का लगभग एक सौ पचास वर्षों का बहुत ही गौरवशाली इतिहास रहा है। न्याय व्यवस्था से जुड़कर मैंने गरीब लोगों के न्याय पाने के संघर्ष को नजदीक से देखा है। न्याय पालिका ही सबका सहारा होती है। फिर भी देश का सामान्य नागरिक भरसक न्यायालय की चौखट खटखटाने से बचना चाहता है। इस स्थिति को बदलना जरूरी है। न्याय मिलने में देर होना भी एक तरह का अन्याय है। गरीबों के लिए न्याय-प्रक्रिया में होने वाले विलंब का बोझ असहनीय होता है। इस अन्याय को दूर करने के लिए हमें adjournment से परहेज करना चाहिए। Adjournment तभी हो जब और कोई चारा न हो। पूरे देश में छः करोड़ मामले लंबित- पूरे देश के न्यायालयों में लगभग तीन करोड़ मामले pending हैं। इनमे से लगभग चालीस लाख मामले उच्च-न्यायालयों में pending हैं। और इनमे से भी छ लाख मामले ऐसे हैं जो दस साल से भी अधिक पुराने हैं।
स्थानीय भाषा में हो बहस- यदि स्थानीय भाषा में बहस हो तो सामान्य नागरिक अपने मामले की प्रगति को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे। साथ ही निर्णयों और आदेशों की सत्य प्रतिलिपि का स्थानीय भाषा में अनुवाद उपलब्ध कराने की व्यवस्था होनी चाहिए। छत्तीसगढ़ में हो रहा हिन्दी अनुवाद- छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने निर्णयों और आदेशों के हिन्दी अनुवाद उपलब्ध कराने का प्रावधान कर दिया है। ‘न्याय ग्राम’ परिसर में एक न्यायिक अकादमी की स्थापना करने की योजना है। यह न्यायिक अकादमी उत्तर प्रदेश की Lower Judiciary की क्षमता को बढ़ाने में अपना बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान देगी।