-बाबा साहब के ‘मूकनायक’ पत्रिका को भी दी आर्थिक मदद
Buddhadarshan News, Lucknow
आरक्षण के जनक कोल्हापुर रियासत के राजा शाहू जी महाराज ने न केवल वंचितों, किसानों को सरकारी नौकरियों में उचित सम्मान दिया, बल्कि संविधान के निर्माता बाबा साहब भीम राव अंबेडकर को विदेश में उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक मदद भी की। शाहूजी महाराज ने बाबा साहब अंबेडकर को ‘मूकनायक’ नामक पत्रिका प्रकाशित करने में भी सहयोग किया।
कोल्हापुर रियासत की गद्दी पर 17 मार्च 1884 में बैठने के बाद शाहू जी महाराज (1874-1922) ने सबसे पहले अछूतों को उचित इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करने का आदेश जारी किया। पहले अछूतों को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाता था।
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महात्मा ज्योतिबा फुले की सिफारिशों को लागू किया:
शाहू जी महाराज ने दलित समाज के प्रति शालीनता का व्यवहार करने के लिए 15 जनवरी 1919 में शासनादेश जारी किया। आपने शासनादेश के तहत प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालयों में जातीय आधार पर भेदभाव को लेकर सख्त हिदायतें दी। समान शिक्षा के लिए ज्योतिबा फुले जी की सिफारिशों को लागू किया गया।
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वंचितों के लिए छात्रावास व छात्रवृत्ति:
शाहू जी महाराज ने शूद्रों व अछूतों के बच्चों के लिए छात्रवृत्तियां, छात्रावास की व्यवस्था की और हर गांव में प्राथमिक विद्यालय बनवाए। महिलाओं की शिक्षा के लिए 500 से 1000 तक की आबादी वाले हर गांव में कन्या विद्यालय बनवाने की योजना चलाई।
कार्यकाल में चार गुना बढ़ें विद्यालय:
जब शाहूजी महाराज ने सत्ता संभाली थी तो उनके राज्य में 158 प्राथमिक पाठशालाएं थीं, लेकिन उनके निधन के समय प्राथमिक विद्यालयों की संख्या बढ़कर 579 हो गईं।
अछूतों के सम्मेलन को संबोधित किए:
शाहूजी महाराज ने 28 मार्च 1920 को नागपुर में आयोजित अछूतों के एक अखिल भारतीय सम्मेलन की अध्यक्षता की।
गांव में रहने के ऐवज में शूद्र को दी गई जगह हेतु पूरे गांव की मुफ्त सेवा प्रथा को समाप्त की।
‘वतनदारी’ प्रथा को समाप्त कर भूमि सुधार लागू कर दलित समाज को भूमि का अधिकार दिया। इससे महार भाईयों की आर्थिक गुलामी काफी हद तक दूर हो गई।