Buddhadarshan News, Delhi
भारत की पवित्र नदी गंगा की सफाई को लेकर पिछले 111 दिनों से अनशनरत पर्यावरणविद प्रो.जीडी अग्रवाल का गुरुवार को निधन हो गया। मां गंगा का बेटा के तौर पर लोकप्रिय 86 वर्षीय प्रो.जीडी अग्रवाल की तबीयत बिगड़ने पर सरकार ने उन्हें ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया था। गंगा के इस बेटे को स्वामी सानंद के नाम से भी जाना जाता था। प्रो.जीडी अग्रवाल गंगा की अविरलता और इस पवित्र नदी को प्रदूषणमुक्त करने के लिए विशेष कानून बनाने की मांग कर रहे थे।
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आठ साल पहले जुलाई 2010 में तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने सरकार के प्रतिनिधिमंडल के तौर पर उनसे बात की थी। इस दौरान गंगा की सहायक नदी भागीरथी में बांध नहीं बनाने पर सहमति भी जताई।
बता दें कि प्रो.जीडी अग्रवाल ने 2012 में राष्ट्रीय गंगा बेसिन प्राधिकरण को निराधार कहते हुए इसकी सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया और पहली बार आमरण अनशन पर बैठे।
वर्ष 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा की अविरलता और प्रदूषणमुक्ती के लिए प्रतिबद्धता दिखाई थी, जिसकी वजह से प्रो.जीडी अग्रवाल ने आमरण अनशन समाप्त कर दिया था।
केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद ‘नमामि गंगे’ परियोजना शुरू की गई, लेकिन इसका सकारात्मक परिणाम नहीं दिखा। परिणामस्वरूप प्रो.जीडी अग्रवाल 22 जून 2018 को हरिद्वार के जगजीतपुर स्थित मातृसदन आश्रम में दोबारा अनशन शुरू कर दिये। लेकिन 10 जुलाई को पुलिस ने उन्हें जबरन उठा लिया। अग्रवाल ने इसके खिलाफ उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। उच्च न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार को फटकार भी लगाई। बावजूद इसके कोई सार्थक हल नहीं निकला।
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सरकार ने वयोवृद्ध पर्यावरणवीद प्रो.जीडी अग्रवाल को एम्स में भर्ती कराया। डॉक्टरों के दबाव डालने के बावजूद उन्होंने भोजन नहीं किया। 9 अक्टूबर से उन्होंने जल भी त्याग दिया था।
प्रो.जीडी अग्रवाल कानपुर आईआईटी में सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख थे। उन्होंने राष्ट्रीय गंगा बेसिन प्राधिकरण में काम किया। इसके अलावा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पहले सचिव भी रहे।