Buddhadarshan News, Lucknow
क्या आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी सेना में भर्ती होने के लिए गए थे, लेकिन उम्र कम होने की वजह से वह भर्ती नहीं हो सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार साल के कार्यकाल पूरे होने के अवसर पर उनके व्यक्तित्व, कृतित्व और राजनीतिक सफरनामे पर प्रकाशित नई पुस्तक “नरेंद्र मोदी: द ग्लोबल लीडर” में उनके बड़े भाई सोमाभाई मोदी ने यह खुलासा किया है। सोमाभाई ने बताया है कि सन 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान नरेंद्र मोदी फौज में भर्ती होना चाहते थे, लेकिन उनकी कम उम्र इसमें आड़े आ गई और वे फौज में भर्ती नहीं हो सके।
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वरिष्ठ पत्रकार राधेकृष्ण और हरिगोविंद द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई पुस्तक “नरेंद्र मोदी: द ग्लोबल लीडर” में सोमाभाई मोदी कहते हैं कि नरेंद्र मोदी को खाने-पीने का कभी कोई खास शौक नहीं रहा। मां के हाथों का बना हुआ उन्हें जो कुछ भी मिल जाता था, वह बिना कोई ना-नुकुर किए खा लेते थे। उन्हें खाने में ढोकला, खाखरा, खिचड़ी, आलू की सब्जी खूब पसंद है। इस पुस्तक का प्रकाशन अमर फाउंडेशन ने किया है।
इस पुस्तक में संघ प्रमुख मोहन भागवत, फेसबुक के फाउंडर सीईओ मार्क जुकरबर्ग से लेकर देश-दुनिया की महान हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में विस्तार से अपनी राय रखी है। 360 पेज की इस पुस्तक में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मुद्दों पर पूछे गए सवालों के एक्सक्लूसिव जवाब दिए हैं।
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पुस्तक में पीएम की जीवनी:
पुस्तक में पीएम नरेंद्र मोदी के बचपन, शादी और सन्यास, हिमालय प्रवास, आरएसएस से जुड़ाव, आपातकाल, संघ से भाजपा में प्रवेश, गुजरात के मुख्यमंत्री पद को संभालने के साथ ही भूकंप से तबाह हो चुके राज्य का पुनर्निर्माण, कट्टरवादी हिन्दू नेता से विकास पुरुष बनने, भारत का प्रधानमंत्री बनने और उसके बाद उनके ग्लोबल लीडर बनने तक की पूरी कहानी शामिल है।