मैं एक मानव हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है, उससे मुझे मतलब है: भगत सिंह
Principles of Bhagat Singh
Buddhadarshan News, 28 Sept
शहीद-ए-आजम भगत सिंह महज 23 साल की उम्र में फांसी पर चढ़ गए थे।
आज भगत सिंह की जयंती पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है।
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1097 को अविभाजित भारत में लायलपुर जिले के बंगा में हुआ था।
अंग्रेजों ने 23 मार्च को भगत सिंह को उनके क्रांतिकारी साथियों राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी दे दी गई थी।
दुनिया में जहां भी असमानता, जुल्म और शोषण रहेगा, वहां पर भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार सदैव याद किए जाएंगे और युवा पीढ़ी को परिवर्तन के लिए सदैव प्रेरित करते रहेंगे।
अमर शहीद भगत सिंह के विचार:
-जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं: भगत सिंह
-मेरा धर्म केवल देश की सेवा करना है: भगत सिंह
-किसी भी व्यक्ति को मारना आसान है, लेकिन उसके विचारों को नहीं। महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं, लेकिन विचार जिंदा रहते हैं: भगत सिंह
-व्यक्ति को कुचल कर उसके विचार को नहीं मार सकते हैं: भगत सिंह
-मैं एक मानव हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है, उससे मुझे मतलब है: भगत सिंह
-कानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब तक वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करे।: भगत सिंह
-प्रेमी, पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं।: भगत सिंह
-राख का हर कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं, जो जेल में भी आजाद है।: भगत सिंह
-दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फत, मेरी मिट्टी से भी खुशबू ए वतन आएगी: भगत सिंह
-क्या तुम्हें पता है कि दुनिया में सबसे बड़ा अभिशाप गरीब होना है? गरीबी एक अभिशाप है, यह एक सजा है।: भगत सिंह
-जो भी विकास के लिए खड़ा है, उसे हर चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा और उसे चुनौती देना होगा।: भगत सिंह
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-मैं इस बात पर जोर देता हूं कि महत्वाकांक्षा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूं, लेकिन जरूरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूं और वही सच्चा बलिदान है।: भगत सिंह
-हमारे देश में जो आंदोलन आरंभ हुआ है, उसकी शुरूआत की हम चेतावनी दे चुके हैं, वह गुरु गोविंद सिंह और शिवाजी महाराज, कमाल पाशा और राजा खान, वाशिंगटन और गैरीबाल्डी, लेनिन के आदर्शों से प्रेरित है।
-यदि बहरों को सुनना है तो आवाज को बहुत जोरदार होना होगा, जब हमने बम गिराया तो हमारा ध्येय किसी को मारना नहीं था। हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था। : भगत सिंह
-कोई भी व्यक्ति जो जीवन में आगे बढ़ने एवं विकास के लिए तैयार है, उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा और चुनौती भी देना होगा: भगत सिंह
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