How to reach creamation ground of Buddha, Ramabhar Stupa
Buddhadarshan News, Kushinagar
तथागत बुद्ध Buddha का महापरिनिर्वाण पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुशीनगर Kushinagar जनपद में हुआ था।
लेकिन त बुद्ध के पार्थिव शरीर की अंत्येष्टि महापरिनिर्वाण स्थल से एक किमी की दूरी पर हिरण्यवती नदी के किनारे हुआ था।
इस स्थान को वर्तमान में रामाभार स्तूप के नाम से जाना जाता है।
इसे मुकुटबंधन चैत्य भी कहा जाता है।
कैसे पहुंचे रमाभार स्तूप:
तथागत बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल से लगभग एक किमी की दूरी पर हिरण्यवती नदी के किनारे रामाभार स्तूप स्थित है।
फिलहाल यहां आने के लिए आप महापरिनिर्वाण स्थल से ऑटो अथवा ई-रिक्शा के जरिए चंद मिनट में पहुंच सकते हैं।
आप महापरिनिर्वाण स्थल से पैदल भी कुछ मिनट में यहां आ सकते हैं।

हिरण्यवती नदी:
बौद्ध मतावलंबियों के लिए यह नदी अत्यंत पावन है।
छठवीं शताब्दी ईसापूर्व के शुरूआत में ही बुद्ध हिरण्यवती नदी पारकर मल्लों की राजधानी कुशीनारा पहुंचे थे।
यहां बुद्ध ने दो शाल वृक्षों के मध्य लेटकर अंतिम उपदेश दिया था और निर्वाण को प्राप्त हुए थे।
यह नदी भगवान बुद्ध के अनुयायियों के लिए पवित्र गंगा नदी के समान है।
हिरण्यवती नदी का उद्गम स्थल कुशीनगर जनपद के नेबुआ नौरंगिया स्थान माना जाता है।
लगभग ढाई हजार 2500 वर्ष पूर्व इस नदी के निकट मल्ल गणराज्य की राजधानी कुसीनारा स्थित थी।
इस नदी के नामकरण के संदर्भ में इतिहासकारों के दो मत हैं।
प्रथम यह कि इस नदी के चारों ओर घना वन था।
इसमें हिरण विचरण करते थे।
इसलिए इसको हिरण्यवती नदी कहा गया, जबकि दूसरे मत के अनुसार इस नदी के बालू में हिरण्य (सोना) के कण मिलते थे।
अत: स्वयं बुद्ध द्वारा इसका नाम हिरण्यवती रखा गया।
रमाभार स्तूप के निकट इस नदी का सौंदर्यीकरण किया गया है।
जिसकी वजह से पिछले कुछ वर्षों में देशी- विदेशी श्रद्धालुओं के साथ-साथ स्थानीय पर्यटकों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है।
Pls read: How to reach Mahaparinirvan Sthal, Kushinagar
Pls read: जीवन जीने की कला है विपश्यना