अवध के सेनापति थे राजा जयलाल सिंह
-चिनहट की लड़ाई में अंग्रेजों काे राजा जयलाल सिंह ने हराया था
Buddhadarshan News, New delhi
अंग्रेजों के खिलाफ 1857 में पहला स्वतंत्रता संग्राम हुआ। इस स्वतंत्रता संग्राम में अवध में अमर शहीद राजा जयलाल सिंह ने ब्रिटानिया हुकूमत की ईंट से ईंट बजा दी थी। कुर्मी कुलभूषण अमर शहीद राजा जयलाल सिंह पर जल्द ही भारत सरकार डाक टिकट जारी करने जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने मंगलवार को इस बाबत केंद्रीय संचार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनोज सिन्हा जी से मुलाकात की। उन्होंने जल्द से जल्द इस अमर शहीद के नाम पर डाक टिकट जारी करने का अनुरोध किया।
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा,” केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा जी ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही अमर शहीद राजा जयलाल सिंह पर डाक टिकट जारी किया जाएगा। राजा साहब ने 1857 की क्रांति के दौरान अवध में अंग्रेजों को कई बार शिकस्त दी। उन्होंने लखनऊ को अंग्रेजी सेना से मुक्त करा लिया।”
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बता दें कि राजा जयलाल सिंह का जन्म 1803 ई. में राजा दर्शन सिंह ‘गालिब जंग’ के सम्पन्न कुर्मी राजकुल में ग्राम बदौला स्टेट, पो.अतरौली, जिला-आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उत्तर प्रदेश सूचना विभाग द्वारा प्रकाशित ‘फ्रीडम स्ट्रगल इन उत्तर प्रदेश 1858’ नामक ग्रंथ में राजा साहब की शहादत के बारे में प्रमुखता से प्रकाश डाला गया है।
अंग्रेजी हुकूमत को कई बार मिली करारी शिकस्त:
स्वाधीनता संग्राम 1857 के रण बांकुरे राजा जयलाल सिंह ने राज्य के क्रांतिकारियों को संगठित कर उनमें देशभक्ति का अद्भुत जोश का संचार किया। उन्होंने 30 जून 1857 को लखनऊ से 6 मील दूर चिनहट नामक स्थान पर अंग्रेजों को भारी शिकस्त दी। राजा जयलाल सिंह ने अंग्रेजों को कई बार भारी शिकस्त दी। 24 जून 1857 को राजा जयलाल सिंह ने विदेशी सेना की दो टुकड़ी को मौत के घाट उतार दिया।
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बाद में आपने बाराबंकी के जंगलों में छिपकर गुरिल्ला युद्ध के जरिए अंग्रेजी सेना को काफी नुकसान पहुंचाया। अंग्रेजों ने आपको छल पूर्वक पकड़ लिया। 1 अक्टूबर 1859 को भारत के सपूत राजा जयलाल सिंह को लखनऊ में फांसी दे दी गई। लखनऊ में जहां उन्हें फांसी दी गई थी, वहां पर ‘अमर शहीद राजा जयलाल सिंह पार्क एवं आदम कद मूर्ति’ की स्थापना भी गई है।