पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मंडल कमीशन लागू किया और पिछड़ों को अधिकार दिलाया।
Buddhadarshan News, New Lucknow
“ गरीब का आंसू कुछ समय तक तो आंसू रहता है, लेकिन वही आंसू फिर तेजाब बन जाता है जो इतिहास के पन्नों को चीर कर धरती पर अपना व्यक्तित्व बनाता है। यह समझ लीजिए कि गरीब की आंख में जब तक आंसू हैं, आंसू हैं, लेकिन जब आंसू सूख जाते हैं तो उसकी आंखें अंगार हो जाती हैं और इतिहास ने ये बताया है कि जब गरीबों की आंखें अंगार होती हैं तो सोने के भी महल पिघल करके पनालों में बहते हैं। ” किसानों, गरीबों, पिछड़ों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय विश्वनाथ प्रताप सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने के बाद 15 अगस्त 1990 को लाल किले की प्राचीर से यह बात कही थी।
लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल ने भारतीय रियासतों का एकीकरण कर भारतीय राज्य का निर्माण किया तो बाबा साहेब ने देश को संविधान दिया और देश के अनुसूचित जाति-जनजाति को वाजिब प्रतिनिधित्व की व्यवस्था की। वहीं विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) ने देश के सबसे बड़े आबादी समूह ओबीसी को सामाजिक– शैक्षणिक क्षेत्र में विशेष अवसर दिया। वीपी सिंह ने न केवल मंडल कमीशन को लागू किया, बल्कि उनके कार्यकाल में बाबा साहेब अंबेडकर और नेल्सन मंडेला को भारत रत्न दिया गया। उन्हीं के कार्यकाल में बीपीएल कार्ड देने की शुरूआत की गई। किसानों के लिए खाद और सिंचाई के लिए विशेष योजनाएं बनीं। अपने अंतिम दिनों में आपने किसान मंच के जरिए दादरी संघर्ष को व्यापक रूप दिया।
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वीपी सिंह छत्रपति शाहू जी महाराज की तरह प्रजापालक थे। एक राजपरिवार में पैदा होने के बावजूद सदैव गरीबों-पिछड़ों की आवाज बने रहें।
जीवन परिचय:
आपका जन्म 25 जून 1931 में इलाहाबाद में हुआ। 25 जून 1955 को अपने जन्मदिन पर ही आपने सीता कुमारी से विवाह किया। आप भारत के आठवें प्रधानमंत्री के तौर पर 2 दिसंबर 1989 से 10 नवंबर 1990 तक शासन किया और देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के 9 जून 1980 से 28 जून 1982 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। आपने इलाहाबाद और पूना विश्वविद्यालय से अध्ययन किया। वाराणसी स्थित उदय प्रताप सिंह कॉलेज के स्टूडेंट यूनियन के आप अध्यक्ष भी रहें। इसके अलावा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्टूडेंट यूनियन के आप उपाध्यक्ष रहें। महान स्वतंत्रता सेनानी विनोवा भावे द्वारा शुरू किए गए भूदान आंदोलन में भी आपने बढ़चढ़ कर भाग लिया और अपनी जमीनें दान कर दी।
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बेहद ईमानदार होने की वजह से आपने भ्रष्टाचार के खिलाफ जमकर आवाई उठाई। केंद्र सरकार में वित्त मंत्री होने के दौरान आपने विदेशों में जमा भारतीय धन का पता लगाने के लिए अमेरिका की एक जासूसी संस्था फेयरफैक्स की नियुक्ति की। अपने बोफोर्स घोटाला का मामला उठाया।