अनुसूचित जाति-जनजाति के खिलाफ अत्याचार लगातार बढ़ रहा है
-केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने संसद में उठाया मुद्दा
Buddhadarshan News, New Delhi
हमारे महापुरुषों ने एक ऐसा खूबसूरत आजाद भारत का सपना देखा था, जहां दलित, पिछड़े, वंचित, मजदूर, किसान, स्त्रियां, आदिवासी सभी सुरक्षित हों और सबको विकास की मुख्यधारा में जुड़ने का अवसर मिले। लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी दलित वर्ग को वह सम्मान नहीं मिल पा रहा है, आज भी दलित समाज का उत्पीड़न हो रहा है। दु:ख की बात तो यह है कि देश के पढ़े लिखे शहरी समाज में भी दलित समाज का उत्पीड़न हो रहा है।
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नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2014 में दलित उत्पीड़न के 1513 मामले, वर्ष 2015 में उत्पीड़न के 1464 मामले, वर्ष 2016 में उत्पीड़न के 1622 मामले सामने आए हैं।
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भारत का सिलिकॉन वैली कहा जाने वाला शहर बंगलुरू हो या साइबर सिटी के तौर पर प्रसिद्ध हैदराबाद या पिंक सिटी जयपुर, कानपुर, पटना जैसे शहरों से हर साल अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के साथ उत्पीड़न के मामले आ रहे हैं।
शहर – वर्ष 2014 – 2015 – 2016 – रैंक (2016)
अहमदाबाद- 66 – 60 – 96 – 7
बंगलुरू – 159 – 140 – 207 – 4
चेन्नई – 16 – 13 – 10 – 17
कोयंबटूर- 9 – 3 – 3 – 19
दिल्ली – 70 – 33 – 46 – 9
गाजियाबाद- 38 – 39 – 64 – 8
हैदराबाद – 160 – 116 – 139 – 5
इंदौर – 60 – 55 – 36 – 11
जयपुर – 297 – 297 – 219 – 3
कानपुर – 146 – 94 – 107 – 6
कोची – 26 – 20 – 35 – 12
कोलकत्ता- 9 – 10 – 9 – 18
कोझिकोड- 18 – 26 – 29 – 14
लखनऊ – 61 – 146 -262 – 1
मुंबई – 35 – 34 – 30 – 13
नागपुर – 33 – 27 – 29 – 15
पटना – 249 – 321 – 241 – 2
पुणे – 55 – 19 – 41 -10
सूरत – 6 – 11 – 19 – 16
कुल मामले- 1513 – 1464 – 1622