Anupriya Patel did a water satyagraha.
पांच साल पहले बस्ती के अईला कला गांव के किसानों ने 13 दिनों तक किया था जल सत्याग्रह
Buddhadarshan News, Lucknow
बुद्ध की धरती पर पुल की मांग को लेकर पांच साल पहले किसानों और उनके परिवार की महिलाओं ने जल सत्याग्रह किया और इस सत्याग्रह को धार दीं स्वर्गीय डॉ.सोनेलाल पटेल की बिटिया अनुप्रिया पटेल और उनकी मां कृष्णा पटेल ने। बस्ती जिला से गुजरने वाली कुआनो नदी पर पुल की मांग को लेकर किसानों के आंदोलन का फल अब मिलना शुरू हो गया है। नदी पर पुल बन गया और आज इस पुल से रोजाना हजारों वाहन गुजरने लगे हैं। स्थानीय लोगों का जीवन खुशहाल हो गया है।
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिला के हरैया तहसील में अईला कला गांव के पास कुआनो नदी पर बने लकड़ी का पुल जर्जर हो गया था, जिसकी वजह से आए दिन हादसे होते थे। कई किसानों, जानवरों की जान चली गई थी। यहां पर पक्का पुल निर्माण की मांग को लेकर किसानों ने कई बार स्थानीय प्रशासन को पत्र लिखा, लेकिन उनकी मांगों को अनसुना कर दिया गया। अंतत: किसानों और उनकी महिलाओं ने नदी के अंदर खड़ा होकर जल सत्याग्रह शुरू किया।
13 दिनों तक चला था जल सत्याग्रह:
अईला कला घाट पर पुल निर्माण की मांग को लेकर किसानों ने 1 मई 2013 को जल सत्याग्रह शुरू की। 13 मई को इस सत्याग्रह में वर्तमान केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने विधायक के तौर पर और उनकी मां कृष्णा पटेल ने इस सत्याग्रह में भाग लिया।
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सत्याग्रह में भाग लेते हुए नदी में अनुप्रिया पटेल के खड़ा होने से प्रशासन के हाथ-पांव फुल गए थे और आनन-फानन में 13 मई को ही प्रशासन ने पुल निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी। फलस्वरूप अनुप्रिया पटेल ने महिलाओं को जूस पिलाकर यह आंदोलन समाप्त कराया। स्थानीय युवक एवं अपना दल (एस) के कार्यकत्र्ता अतुल पटेल कहते हैं, “इस आंदोलन के दौरान किसान रामसिंह पटेल के पांव की उंगलियों को मछलियों ने काट लिया था, जिसका बाद में इलाज कराना पड़ा।”
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हजारों वाहन गुजरते हैं:
आज केवल इस पुल का ही निर्माण नहीं हुआ, बल्कि हरैया से भानपुर को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग का भी निर्माण हो चुका है। जिसकी वजह से आज यहां से हजारों वाहन गुजरते हैं। स्थानीय लोगों को नदी पार अपने खेतों में जाने के लिए अब दिक्कत नहीं होती है।