बलिराम सिंह, नई दिल्ली
राजधानी में चिकनगुनिया महामारी का रूप ले लिया है। हालांकि राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस सच्चाई से मुंह मोड़ रही हैं, लेकिन आंकड़ों को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में चिकनगुनिया महामारी का रूप ले ली है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ.केके अग्रवाल की माने तो यह स्थिति महामारी से भी ज्यादा खराब है।
देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में ही अब तक चिकनगुनिया के 1300 मरीज आ चुके हैं। जबकि दिल्ली नगर निगम से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 1724 मामले आ चुके हैं, इनमें से 1057 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। मरीजों की बढ़ती तादाद को देखते हुए चिकित्सकों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेजी है। डॉ.केके अग्रवाल के मुताबिक लगभग हर घर में कोई न कोई व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है।
एम्स के जनस्वास्थ्य विभाग के प्रोफेसर संजय राय कहते हैं कि मौजूदा समय में दिल्ली में चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में अचानक वृद्धि को देखते हुए साफ होता है कि यह आउटब्रेक (विस्फोटक) की स्थिति है, जिस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि चिकनगुनिया से सीधे तौर पर मरीज की मौत नहीं होती है। इस बीमारी के साथ ही मरीज किसी अन्य शारीरिक समस्या से पीड़ित हो सकता है।
बता दें कि वर्ष 2015 में राजधानी में चिकनगुनिया के मात्र 65 मामले आए थें। इससे पूर्व के वर्षों में भी चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या दो अंक तक ही सीमित रही। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ.अनिल बंसल कहते हैं कि पहली बार इतनी तादाद में मरीजों की संख्या बढ़ी है। अस्पताल के अलावा क्लीनिक में भी मरीजों की लंबी कतार लगी है। इस बाबत सरकार को विशेष इंतजाम करना चाहिए, ताकि लोगों में भय न फैले।
चिकनगुनिया का अर्थ-
चिकनगुनिया शब्द को अफ्रीकी भाषा से लिया गया है, जिसका मतलब होता है ‘वह, जो झुका दे…’ चिकनगुनिया एक वायरल बुखार है। एडीज एजिप्टी नाम के मच्छर, जिसको पीले बुखार का मच्छर भी कहते हैं, के काटने से यह वायरस शरीर में घुस जाता है।
ऐसे आया चिकनगुनिया-
चिकनगुनिया बीमारी को अफ्रीकन भाषा से लिया गया है, जिसका मतलब होता है, वह, जो झुका दे (हड्डी टूटने जैसा दर्द)। यह नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि जोड़ों में दर्द की वजह से मरीज झुककर चलने लगते हैं और पूरी तरह स्वस्थ होने में महीनों लग जाते हैं मरीज की स्थिति चिकन (मुर्गी का बच्चा) जैसी हो जाती है। अधिकतर एशिया और अफ्रीका के देशों में यह बीमारी होती रही है। सबसे पहले चिकनगुनिया की शुरुआत १९५२ में अफ्रीका के मंकोडे द्वीप में हुई जो तंज़ानिया और मोजाम्बिक के बीचोंबीच स्थित है। भारत में 10 साल पहले तक आम तौर पर यह बीमारी दक्षिण भारत विशेषकर केरल में पायी जाती थी।
चिकनगुनिया से जुड़ी खास बातें-
चिकनगुनिया एक बार हो जाने पर जीवन में दोबारा होने की संभावना लगभग न के बराबर होती है
-चिकनगुनिया बीमारी सीधे एक मनुष्य से दुसरे मनुष्य में नहीं फैलती
-एक बीमार व्यक्ति को एडीज मच्छर के काटने के बाद फिर स्वस्थ व्यक्ति को काटने से फैलती है
-इसमें बुखार, खांसी, जुकाम, बदन में दर्द और जोड़ों में दर्द से पीड़ित हो जाता है
-आमतौर पर चिकनगुनिया बुखार जानलेवा नहीं कहा जाता
-कई मामलों में जानलेवा भी हो सकता है
-यह मच्छर दिन में काटता है, इससे बचना चाहिए
-जोड़ों में भयंकर पीड़ा होती है,
-मरीज इतना कमजोर हो जाता है कि कोई भी कार्य करने में असमर्थ पाता है
चिकनगुनिया के लक्षण
–मच्छर काटने के एक सप्ताह बाद चिकनगुनिया के लक्षण नजर आते हैं
-इसमें तेज बुखार के साथ जोड़ों, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द
-जी मचलना, भूख कम लगना और कमजोरी आना
-प्रकाश सहन न होना
-शरीर पर चकते निकलना
चिकनगुनिया का उपचार
–चिकनगुनिया के लिए डॉक्टर लाक्षणिक दवा देते हैं
-चिकनगुनिया के विषाणु नष्ट करने के लिए कोई दवा या टीका अब तक नहीं बना है
-जोड़ों व अन्य दर्द के लिए पेन कीलर दवाएं दी जाती हैं
-बुखार आने पर बुखार कम करने की दवाएं दी जाती हैं
-रोगी को आराम करना चाहिए और पेय पदार्थ खूब लेने चाहिए
-रोगी कोई भी दवाई डॉक्टर की सलाह से ही लें।
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