बलिराम सिंह, नई दिल्ली
भारत के तीर्थस्थलों में गंगासागर को महातीर्थ के तौर पर जाना जाता है। गंगा जी इसी स्थान पर बंगाल की खाड़ी (सागर) में मिल जाती हैं। कहा जाता है कि इसी स्थान पर राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को मोक्ष प्राप्त हुआ था। मकर संक्रान्ति पर यहां बहुत बड़ा मेला लगता है,जहां लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं।
कहते हैं कि कपिल मुनि ने श्राप देकर राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को भस्म कर दिया। तब अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए राजा सगर के परपोते भागीरथ ने हिमालय पर जाकर कड़ी तपस्या की और गंगा को पृथ्वी पर लाए। तब गंगा ने इसी स्थान पर सगर के साठ हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया। तभी से गंगा को भागीरथी कहा जाने लगा। यहां कपिल मुनी का मंदिर भी है।
कलकत्ता से 135 किमी दूर है गंगासागर-
गंगासागर को सागरद्वीप भी कहा जाता है। कलकत्ता महानगर के धर्मतल्ला से बस अथवा टैक्सी के जरिए काकद्वीप आते हैं। यहां पर स्टीमर के जरिए हुगली नदी को पार करते हैं। तत्पश्चात फिर बस अथवा टाटा मैजिक के जरिए 32 किलोमीटर दूर सागरद्वीप जाते हैं। यहीं पर कपिलमुनी का आश्रम है।
यहां हैं 64 गांव-
सागरद्वीप में लगभग 64 छोटे-छोटे गांव हैं, जहां किसान-मछुआरे रहते हैं।
थोड़ा आगे है जम्बूद्वीप-
सागरद्वीप के आगे जम्बूद्वीप टापू है। सनातन धर्म के किसी भी कार्यक्रम अथवा पूजा-पाठ में इस शब्द का उल्लेख किया जाता है।