बस, ट्रेन, फ्लाइट से पहुंच सकते हैं वाराणसी
-दुनिया की सबसे प्राचीन शहर है वाराणसी
Buddhadarshan News, New Delhi
दुनिया की सबसे प्राचीन धार्मिक नगरी वाराणसी है। वाराणसी देश के सभी प्रमुख महानगरों से वायु मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग से जुड़ा है। भगवान बुद्ध, भगवान शंकर, तुलसीदास, संत कबीर, संत रविदास का यह शहर है। यहां रोजाना हजारों की संख्या में देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। गंगा नदी के ऐतिहासिक घाट इस शहर को और ही खूबसुरत बना देते हैं। इसके अलावा गंगा पार रामनगर का ऐतिहासिक प्रसिद्ध किला स्थित है। सिंहों की मूर्ति वाला भारत का राजचिन्ह् सारनाथ के अशोक स्तंभ से ही लिया गया है।
भगवान बुद्ध ने बिहार के बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति की। इसके बाद भगवान बुद्ध ने वाराणसी के सारनाथ (10 km) में अपना पहला उपदेश दिया। यहां पर आज भी ऐतिहासिक अवशेष हैं। सारनाथ को प्राचीन काल में ऋषिपतन अथवा मृगदाव (काले हिरणों का जंगल) कहा जाता था।
वाराणसी में बाबतपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। यहां रोजाना दिल्ली, मुंबई, कोलकात्ता और चेन्नई से एयरोप्लेन आती हैं। यहां पर स्पाइस जेट, एयर इंडिया, इंडिगो, विस्तारा और जेट एयरवेज की सीधी उड़ान है।
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देश की अधिकांश प्रमुख ट्रेन यहां से गुजरती हैं। इनमें राजधानी एक्सप्रेस, दुरंतो एक्सप्रेस, महानगरी एक्सप्रेस, शिव गंगा जैसी सुपरफास्ट ट्रेन शामिल हैं। इसके अलावा वाराणसी से 17 km दूर मुगलसराय रेलवे स्टेशन है। यहां से उत्तर भारत की अधिकांश ट्रेनें गुजरती हैं। मुगलसराय भारत का चौथा सबसे व्यस्त रेलवे जंक्शन है।
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भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग 7 है। यह राजमार्ग वाराणसी को कन्याकुमारी से जोड़ता (2369 km) है। इसके अलावा कोलकाता से पेशावर तक जाने वाला प्राचीन जीटी रोड (ग्रांड ट्रंक रोड) भी (राष्ट्रीय राजमार्ग 2) यहीं से गुजरता है। दिल्ली से कोलकाता को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 2 की लंबाई 1465 km है। इस मार्ग पर दिल्ली, मथुरा, आगरा, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी इत्यादि हैं। दिल्ली से आगे इस राजमार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग एक के नाम से जाना जाता है।
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