ग्रामीण क्षेत्रों पर फोकस करने पर ही सुधरेगा हैल्थ सेक्टर
बलिराम सिंह, नई दिल्ली
डॉ.एचएन सिंह पटेल, पेशे से सर्जन। पिछले 10 सालों में आपने 4 हजार से ज्यादा गरीब मरीजों की फ्रि में सर्जरी की है। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिला के बड़हलगंज कस्बे में स्थित रामरती अस्पताल के चेयरमैन डॉ.एचएन पटेल भी चाहते तो किसी महानगर में कॉरपोरेट अस्पताल का रूख कर सकते थें, लेकिन आपने कॉरपोरेट अस्पताल का रूख करने अथवा विदेश जाने की बजाय गोरखपुर के बड़हलगंज क्षेत्र (गोरखपुर से 60 किलोमीटर दूर आजमगढ़-मऊ की सीमा पर) को अपनी कर्मस्थली बनायी। आज तीन जिलों गोरखपुर, मऊ और आजमगढ़ के अधिकांश मरीज इलाज के लिए आपके पास आते हैं।
गौरतलब है कि देश से गंभीर बीमारियों को नियंत्रित करने और बेहतर डॉक्टरों को तैयार करने के लिए प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 60 साल पहले दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापन की, लेकिन दुर्भाग्य है कि एम्स के अधिकांश डॉक्टर विदेश पलायन कर जाते हैं अथवा महानगरों में स्थित सरकारी या कॉरपोरेट अस्पताल तक सीमित हो जाते हैं, ऐसे में देश के ग्रामीण क्षेत्रों का हैल्थ सेक्टर बुरी तरह से चरमरा गया है। नेशनल हैल्थ प्राेफ्राइल की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की 72.2 फीसदी आबादी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, जबकि इतनी बड़ी आबादी पर मात्र 38.2 फीसदी डॉक्टर हैं। 61.8 फीसदी डॉक्टर आज भी महानगरों अथवा छोटे शहरों में रहते हैं। अत: किसी भी समस्या के लिए मरीजों को शहरों का रूख करना पड़ता है और अपनी जेब खाली करनी पड़ती है।
ऐसी स्थिति में डॉ.एचएन सिंह पटेल उन मरीजों के लिए एक उम्मीद की किरण हैं, जो न तो इलाज के लिए पर्याप्त धनराशि खर्च कर सकते हैं और न ही लखनऊ, वाराणसी जैसे शहर में इलाज के लिए जा सकते हैं। मऊ के सोनाडीह गांव के निवासी डॉ.पटेल हर महीने अपनी मां रामरती देवी की पुण्यतिथि के मौके पर मरीजों की फ्रि में सर्जरी करते हैं। सामाजिक तौर पर सक्रिय डॉ.पटेल कई बार जरूरतमंद मरीजों को मेडिकल उपकरण भी मुहैया करा चुके हैं। इसके अलावा अन्य कई सामाजिक गतिविधियों में आप सक्रिय रहते हैं।