घोड़ा कटोरा झील में बुद्ध की तीसरी सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित हुई
– 70 फीट ऊंची है बुद्ध की प्रतिमा
Buddhadarshan News, Rajgir/Patna
दुनिया को शांति एवं अहिंसा का संदेश देने वाले भगवान बुद्ध की प्रतिमा राजगीर के घोड़ा कटोरा झील में स्थापित हो गई है। 70 फीट ऊंची यह प्रतिमा इंडिया में भगवान बुद्ध की तीसरी सबसे ऊंची प्रतिमा है। यह प्रतिमा धर्म चक्र परिवर्तन की मुद्रा में स्थापित की गई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 25 नवंबर को इस प्रतिमा का अनावरण किया। राजगीर की पहाड़ियों के बीच स्थित घोड़ा कटोरा झील के अंदर निर्मित पैडेस्टल पर निर्मित की गई इस प्रतिमा की सुंदरता अद्वितीय है।
बौद्ध अनुयायियों ने भगवान बुद्ध की पवित्र अस्थि का किया दर्शन
तथागत की यह प्रतिमा पूरी तरह पत्थर से निर्मित है। कहीं दूसरी जगह ऐसी प्रतिमा नहीं मिलेगी। इसमें 45 हजार घन फुट गुलाबी रंग का शैंड स्टोन लगाया गया है। झील की सतह में 16 मीटर गोलाई वाला पैडेस्टल बनाया गया है। जिसके ऊपर प्रतिमा स्थापित की गई है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोड़ा कटोरा झील में नौका विहार कर भगवान बुद्ध की प्रतिमा की परिक्रमा की। तत्पश्चात मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्राकृतिक झील है। ये पंच पहाड़ी के बीच में है और यहां पर भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित की गई है। उन्होंने कहा कि यहां लोग आएंगे और झील में भ्रमण करेंगे और भगवान बुद्ध के दर्शन का भी सौभाग्य हासिल करेंगे, इसका पूरा ख्याल रखा गया है। यहां पर खुबसूरत पार्क का भी निर्माण कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ईको टूरिज्म के लिए यह क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यहां पेट्रोल, डीजल से चालित कोई भी वाहन नहीं चलेंगे। यहां केवल इलेक्ट्रिक गाड़ियां ही चलेंगी। इसके अलावा लोग पैदल, साइकिल अथवा टमटम से पूरे इलाके का भ्रमण कर सकेंगे।
भगवान बुद्ध यहां पर ज्ञान प्राप्ति से पहले भी आए थे और ज्ञान प्राप्ति के बाद भी यहां आए। भगवान बुद्ध यहां वेणुवन में ही 12 सालों तक रहे। गृद्धकुट पर्वत से ही उन्होंने उपदेश दिया।
Sarnath: बुद्ध ने यहीं दिया था पहला उपदेश
इसके अलावा भगवान महावीर की भी यह पुण्य भूमि है। हिन्दुओं के लिए यहां मलमास मेला लगता है। मखदुम साहब का भी यहां से नाता रहा और बहुत पहले यही मगध की राजधानी थी। पौराणिक दृष्टकोण से देखें तो जरासंध का अखाड़ा भी यहीं था। यहीं पाण्डु पोखर भी है। सिखों के पहले गुरू गुरू नानक देव भी यहां आए थे। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, बीटीएमसी के सचिव एन दोरजे भी मौजूद थे। महाबोधि टेंपल के चीफ मांक श्री भंते चालिंदा सहित बौद्ध संत भी मौजूद थे।